20.12.13

Blog via mobile

Hello, I am very glad to find this application on my new phone.  Indeed sharing views are very easy due to this application. Typing on mobile is not easy.
I want to share you that I am really enjoying NADT. Table tennis and reading are my two favourite time pass. Smartphone is really helpful. It keeps me updated. Many applications I find very useful to me.
Google drive are one of them. It helps in keeping and accessing files in arranged way stimulanteously on PC and mobile. The file get automatically synchronised to all devises. No need to carry pen drive.
Whatsup,Facebook massager, g mail, etc are keep connected to friends on real time.
Taxman paid, c club ģiving me depth in taxation.
..............................................................................................................................
Will update soon some interesting stuff. ...

27.6.13

मेरा गाँव

मेरा गाँव अनोखा-सा
छोटा-सा, प्यारा-सा ।
नाम उसका पिपरा विशों
लगता मुझे सबसे न्यारा-सा ।

बीस-बीस पीपल के पेड़
जिस पर लताएं अनेक।
पशु-पंछी बहुतेरे
डाले रहते सब डेरे ।



पगडंडियों पर फैली धूल,
खेतो में खिले सरसो के फूल ।
प्राकृतिक छटाएं लेती अंगड़ाई
सुंदरता मानो अंग-अंग में समाई ।

जात-पात में रचे-बसे सब लोग
परम्पराओं से चिपके रहते सदैव।
फिर भी रखते सद्भाव
सुख-दुख में साथ रह्ते सदैव।

नाचते पपीहे कोयल और मोर
कल-कल बहती सरिता का शोर ।
हरियाली से सजा हुआ हर ठौर
खेती-बाड़ी पर रहता ज़ोर ।

पढ़ने-लिखने से बड़े दूर
कदम-कदम पर परंपरा और दस्तूर ।
गाँव में लगती चौपाल
मुखियाजी की बड़ी सूझ-बूझ ।

होली के सुनहरे रंग
संक्रांति की रंगीन पतंग ।
हृदय सागर में उठती तरंग
दोस्तों के संग बड़ी उमंग ।

मेल-जोल का पावन छठ त्योहार
अर्घ में बसता माँ का प्यार ।
दीवाली में सब दीप जलाते  
मन की कालिख दूर भगाते ।

वक्त ने बदला सारा संसार
बदला रहन-सहन, बदल गया व्यवहार ।  
आ गया गावों में लोकतंत्र
बदले रीति रिवाज और त्योहार ।

आजादी के बीत गए साठ वर्ष
नदारत रहा गाँवों का विकास ।
उलझते आकडों का खेल
चलती हमेंशा राजनीति की रेल।

बच्चे करते रहते इंतजार
शिक्षक करते शिक्षा का व्यापार ।
राशन डीलर हो रहे मालामाल
स्वास्थ्य का हाल है बेहाल ।

लोक लुभावन नारों को
हकीकत से करना होगा साक्षात्कार ।
तभी पिपरा विशों जैसे गावों में
विकास बनेगा लोकतंत्र का आधार।

24.10.12

मुश्किल है अपना मेल प्रिये

मस्ट (मस्त) रीड :-)

कवि डॉ. सुनील जोगी की रचना: {सौजन्य से: Anup Singh}
---------------------------

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये, 
तुम MA 1st डिवीज़न हो, मैं हुआ मेट्रिक फेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये, 
तुम फौजी अफसर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूँ,
तुम रबड़ी-खीर-मलाई हो, मैं तो सत्तू सपरेटा हूँ,
तुम AC घर में रहती हो, मैं पेड़ के नीचे लेटा हूँ,
तुम नई मारुती लगती हो, मैं स्कूटर लम्ब्रेटा हूँ,
इस कदर अगर हम छुप-छुप कर आपस में प्रेम बढ़ाएंगे,
तो एक रोज़ तेरे डैडी अमरीश पुरी बन जाएंगे,
सब हड्डी-पसली तोड़ मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम अरब देश की घोड़ी हो, मैं हूँ गदहे की नाल प्रिये,
तुम दीवाली का बोनस हो, मैं भूखों की हड़ताल प्रिये,
तुम हीरे जड़ी तश्तरी हो, मैं अलमुनियम का थाल प्रिये,
तुम चिकन-सूप बिरयानी हो, मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये,
तुम हिरन-चौकड़ी भरती हो, मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये,
तुम चन्दन-वन की लकड़ी हो, मैं हूँ बबूल की छाल प्रिये,
मैं पके आम सा लटका हूँ, मत मारो मुझे गुलेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

मैं शनि-देव जैसा कुरूप, तुम कोमल कंचन काया हो,
मैं तन-से मन-से कांशी राम, तुम महा चंचला माया हो,
तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूँ,
तुम राजघाट का शांति-मार्च, मैं हिन्दू-मुस्लिम दंगा हूँ,
तुम हो पूनम का ताजमहल, मैं काली गुफा अजंता की,
तुम हो वरदान विधाता का, मैं गलती हूँ भगवंता की,
तुम जेट विमान की शोभा हो, मैं बस की ठेलम-ठेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम नई विदेशी मिक्सी हो, मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ,
तुम AK-सैंतालिस जैसी, मैं तो देसी कट्टा हूँ,
तुम चतुर राबड़ी देवी सी, मैं भोला-भाला लालू हूँ,
तुम मुक्त शेरनी जंगल की, मैं चिड़ियाघर का भालू हूँ,
तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी, मैं वी.पी.सिंह सा खली हूँ,
तुम हंसी माधुरी दीक्षित की, मैं पुलिसमैन की गाली हूँ,
कल जेल अगर हो जाए तो दिलवा देना तुम बेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

मैं ढाबे के ढाँचे जैसा, तुम पांच सितारा होटल हो,
मैं महुए का देसी ठर्रा, तुम रेड-लेबल की बोतल हो,
तुम चित्रहार का मधुर गीत, मैं कृषि-दर्शन की झाड़ी हूँ,
तुम विश्व-सुंदरी सी कमाल, मैं तेलिया छाप कबाड़ी हूँ,
तुम सोनी का मोबाईल हो, मैं टेलीफोन वाला हूँ चोंगा,
तुम मछली मानसरोवर की, मैं सागर तट का हूँ घोंघा,
दस मंजिल se गिर जाऊंगा, मत आगे मुझे धकेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम सत्ता की महारानी हो, मैं विपक्ष की लाचारी हूँ,
तुम हो ममता-जयललिता सी, मैं कुंवारा अटल बिहारी हूँ,
तुम तेंदुलकर का शतक प्रिये, मैं फॉलोआन की पारी हूँ,
तुम गेट्ज, मतिज़, कोरोला हो मैं लेलैंड की लोरी हूँ,
मुझको रेफरी ही रहने दो, मत खेलो मुझसे खेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये